Tuesday, February 11, 2014

वो हमे भूल जाना ..............



वो हमे भूल जाना चाहते है 
हम उन्हें दिल में बसाना चाहते है














पहले मोहब्बत की बातें 
फिर अँधेरी रातें

उनके गालों की लाली
मेरे होंटों की प्याली

मखमली , सरारती ,चंचल सी परी 
मेरे सपनो में आती थी कभी -कभी

उसकी नीली आँखों की चमक 
मेरे प्यार से महके चमन 

उसकी मोहब्बत की  एक गुज़ारिश
मेरे दिल में खुशियों की बारिश

उनके क़दमों की आहट
मेरे धड़कते दिल की  चाहत 

वो सदियों का नूर 
मैं जन्मों का फ़क़ीर

वो आसमान की बारिश 
मैं धरती की गुज़ारिश

वो लफ्ज़ो में बंधी पतंग 
मैं बांहे फैलाये आसमां

वो समंदर जैसे कोई विशाल 
मैं तड़पता उसका छोर 

कभी पंखुरियों सी कोमल उसकी अदा 
कभी बहके मेरा मन 

वो चाँद कोई ठहरा 
मैं निहारु हर -पल 

मैं नदियों का आवारा  पानी 
वो टकराए पत्थर बन हर- दम

मैं चंचल सोंख हवा 
वो खिलता कोई कंवल

वो धीरे -धीरे हमे भूलना चाहते है 
हम उन्हें हमेशा दिल में बसाना चाहते है। …… 






Monday, February 10, 2014

वो तुम हो ............



ऐ मेरे हमसफ़र

बस तुझसे ही मेरे रिश्ता 

बस तुझसे ही है मेरी दिल्लगी
जिसे कहते है दिल की लगी 

अब तो तेरा चेहरा ही मेरा ख्वांब  

तेरी आँखें ही मेरा आईना 

और तेरा प्यार ही मेरा सहारा 

तेरे रिश्ते की हर वो करवंटे  

तेरे प्यार की हर वो तपिश 

जिसमें मैं जल जाना चाहता हूँ 

जिसको सिर्फ मैं चाहता हूँ 

जिसको सिर्फ अपना बनाना चाहता हूँ
वो तुम हो , तुम हो , तुम हो 












हाँ 'ख़ुशी' वो तुम हो। …………………… 



एक नज़र फिर से...........


एक लफ्ज़ मोहब्बत का,
बस इतना  सा फ़साना है,
सिमटे तो दिल-ऐ -आशिकी,
फैले तो ज़माना है ,


जो नज़रों से बयां न कर पाये ,

वो होंटों से कह दो ,

एक नज़र फिर से इस दिल में,

प्यार कि भर दो,

वफाओं का हो जिसमे रंग,

ऐसी किसी मेहंदी से,

मेरी रूह को रंग दो,

धड़कता दिल जाये थम,

ऐसी कोई गुज़ारिश कर दो ,

मोहब्बत का कोई ऐसा राग सुनाओ,

जो मेरे तन - मन को तुम्हारा कर दे।



कभी मिलो तो तुमसे .............



कभी मिलो तो तुमसे पूछे,

बिना आये कैसे जाते हो,

जिन राहों पर हो ही नहीं तुम,

वहाँ नज़र क्यों आते हो,

कहाँ से लाये ऐसी खुश्बू,

मन को जो महका देती है,

इस प्रकृति के कण-कण में तुम,

खुद को कैसे समाते हो,

अपने ही टुकड़ो को हमने,

बड़ी जतन से संभाला था,

उनको यों बिखरा कर अब,

तुम क्यों इतना मुस्कुराते हो।


मेरा प्यार.......



तेरे चेहरे पर चढ़ती जो मुस्कान है,

वो मेरा प्यार है,

तेरे  पायल  में जो झंकार   है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे लबो पर जो मेरा नाम है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे दिल की चलती हर धड़कन
वो मेरा प्यार है,

तेरे बदन से जो आती खुश्बू है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे जुल्फों में जो चंचलता है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे गालों पर छायीं जो लाली है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे आँखों में जो हल्का गुमान है,
वो मेरा प्यार है,

तेरी वफाओं में जो रोमांस का किरदार है,
वो मेरा प्यार है,

तेरी मजबूरियों का जो एक एहसान है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे ख्वाबों का जो एक संसार है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे हुस्न में जो नज़ाकत है,
वो मेरा प्यार है ,

तेरे होंटों पे जो छलकता जाम है,
वो मेरा प्यार है,

तेरे दुपट्टे का जो सरकने का अंदाज़ है,
वो मेरा प्यार है,

मेरी यादों से जो महका तेरा संसार है,
वो मेरा प्यार है.…





Wednesday, February 5, 2014

मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी. . . . . . . . .




मौसम मधुर बना जाती है,
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी,



मिलने अगन लगा जाती है, 
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी,


तन्हाई में, रुशवाई में,
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी,


हसना मुझे सिखा जाती है,
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी,
  

जीवन के कोरे पन्नो पर,
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी,

  

लिखने कि अगन लगा जाती है, 
मधुर-मधुर मुश्कान तुम्हारी।



Friday, December 13, 2013

मर जाने को जी चाहता है .............




तेरी आँखों के सागर में
डूब जाने को जी चाहता है

पीकर  तेरे लवों के जाम
बहक जाने को जी चाहता है

कह दो हवाओं से न बिखेरे
इस तरह जुल्फों को गालों पर
इन में खो जाने को जी चाहता है

देख कर तेरा संगमरमर सा बदन
फिसल जाने को जी चाहता है

न लिया करो अंगड़ाई ऐसे
तन से लिपट जाने को जी चाहता है

तेरी हर अदा क़यामत लगती है हम को
इसी अदा पे मर जाने को जी चाहता है।